अर्से बाद ‪बिहार पुलिस‬ ने सच में अंडरवर्ल्‍ड में कोहराम मचा दिया

 ज्ञानेश्वर जी/ मोतिहारी: ——–   अर्से बाद ‪बिहार पुलिस ने सच में अंडरवर्ल्‍ड में कोहराम मचा दिया । कोहराम न मचता तो ‪सुरेश केडिया‬ अभी बहुत जल्‍दी अपहर्ताओं के कब्‍जे से मुक्‍त न होते ।

 

मसला ‪नेपाल के ‪बीरगंज‬ का था । पर अपहर्ता केडिया को लेकर ‪बिहार‬ में घुसे थे । गैंगस्‍टर मुकेश पाठक को पकड़ने के अब तक सफल न हुए आपरेशन में नेपाल के बेहद असहयोगात्‍मक रवैये को बिहार ने भूला दिया । केडिया की रिहाई की चुनौती कबूली ।
संयोग रहा कि बेतिया में एसपी विनय कुमार व मोतिहारी में एसपी जितेन्‍द्र राणा हैं । दोनों ‘हार्डकोर’ पुलिस अफसर हैं । विनय कुमार को हम सहज ‘अपराधियों के खिलाफ’ नहीं मानते,वे तो ‘अपराधियों के नं.-1 दुश्‍मन’ अधिकारी हैं । भाई की हत्‍या का दंश जानते हैं । जितेन्‍द्र राणा भी ठान लेने वाले अफसर हैं । अनंत सिंह का पोल तो पटना से जाते-जाते जितेन्‍द्र राणा ने ही खोल दिया था ।
दोनों एसपी जानते थे कि अधिक समय गुजरा,तो अपहर्ता सुरक्षित ठिकाने पर सेट हो जायेंगे । फिर मुश्किल तो बढ़ेगी ही,साथ में लेन-देन के बदले रिहाई का रास्‍ता खुलेगा ।

अपहर्ताओं ने जिस बड़े टारगेट के साथ अपहरण किया था,उसमें बड़ा सौदा सभी दूसरे रास्‍तों की समाप्ति के बाद ही संभव होता है । सौ करोड़-साठ करोड़ नेपाली तो बस कहने की बात थी,लेकिन सब कुछ सेट कर लेने के बाद निश्चित तौर पर अपहर्ता गिरोह कई करोड़ में वसूली तो कर ही लेते । लेकिन इसमें महीने भर का वक्‍त तो लगता ही । तभी केडिया फैमिली समझौते के लिए हारती । लाइन-डोरी देखें,अपहर्ता गिरोह का सरगना बबलू दूबे बक्‍सर जेल में बंद है ।
हालात कठिन थे । बिहार की बदनामी का डर था । समय नहीं गुजरने देना था । सो,दोनों एसपी ने अपनी लाइन-डोरी ठीक की । कम से कम समय में टास्‍क पूरा करने का निर्णय किया गया । खास गिरोह के बारे में आप जब संशय में हों,तो रास्‍ता निकलता है कि आप सभी गिरोहों पर टूट पड़ें ।

कोई लेफ्ट-राइट नहीं । अंडरवर्ल्‍ड में इतना कोहराम मचा दो कि वह अपने बचाव में स्‍वयं असली का पता बता दे ।

बिहार में ऐसा आपरेशन 1990 के दशक में पहली बार राजविंदर सिंह भट्ठी ने किया था । छपरा में डाक्‍टर के बेटे का अपहरण हुआ था । महीना बीत गया । सभी मृत मान लिए थे । बिहार की कई एजेंसी हार गई थी । तभी अवकाश पर गये भट्ठी को पंजाब से तुरंत बुलाया गया । वे गोपालगंज के एसपी थे । डाक्‍टरों की मांग पर जिम्‍मा दिया गया था । दो घंटे छपरा में रहकर भट्ठी ने 72 घंटे का वक्‍त लिया था ।

फिर कई जिलों के अंडरवर्ल्‍ड में भट्ठी ने ऐसा कोहराम मचाया कि समय से पहले डाक्‍टर के बच्‍चे को मिर्जापुर (यूपी) जाकर पुलिस की टीम ने बरामद कर लिया । दरअसल,भट्ठी के स्‍पेशल दस्‍ते ने अपहर्ता के नवजात बच्‍चे को भी बदले में अगवा कर लिया था ।
सुरेश केडिया के अपहरण में भी एसपी विनय कुमार-जितेन्‍द्र राणा की टीम ने भी कुछ ऐसा ही तूफानी किया । मजबूरी भी थी । वजह कि नेपाल की पुलिस अब भी टेकनिकल सर्विलांस में काफी फिसड्डी है । उधर से कुछ फीडबैक की उम्‍मीद नहीं थी । इसलिए,मोतिहारी-बेतिया के सभी बड़े गिरोह पर बड़ा धावा एक साथ बोला गया । किधर से कितना उठा,कोई समझ ही नहीं पा रहा था । हां,उस रास्‍ते में ज्‍यादा खौफ पैदा किया गया,जिधर से बिहार में इंटरी हुई थी । अब अंडरवर्ल्‍ड डर गया । खुद को बचाने के लिए सभी असली का पता करने में लग गये ।

 

परिणाम,विनय-जितेन्‍द्र की टीम को तेजी से सुराग मिलने लगे । सुखद परिणति आज तब हुई,जब दोनों आज सकुशल अपह्त सुरेश केडिया को लेकर वापस लौटे ।

 

ध्‍यान रखें, अपहर्ता को मकसद में कामयाब होने के लिए अभी और कई सीढि़यां चढ़नी थी,जो पुलिस ने समय से पहले नहीं बहुत पहले तोड़ दी । सो,और कोई कंफ्यूजन नहीं है ।
हां,सुरेश केडिया के मामले से नेपाल को जरुर सीख लेने की जरुरत है । वह इन दिनों बिहार के अपराधियों से खाद-पानी लेकर सुरक्षित ठिकान उपलब्‍ध करा रही है ।

जानकारी मिलने पर बिहार पुलिस को हथियार समेत कार्रवाई करने को नेपाल में जाने भी नहीं दे रही । नेपाल को यह रास्‍ता छोड़ना होगा,वरना आज सुरेश केडिया तो कल और कोई ?

 

सभार- ज्ञानेश्वर जी

(यह लेख ज्ञानेश्वर जी के फेसबुक पेज से लिया गया है)

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