सुपर 30 के आनंद कुमार से खास बातचीत

अपने और माता-पिता के सपनों को तो लगभग हर इंसान साकार करने की इच्छा रखता है। यह अच्छा भी है लेकिन ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो गरीब और जरूरतमंद बच्चों के सपनों को पूरा करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लेते हैं। पटना में जन्में, पले और शिक्षित हुए महान गणितज्ञ आनंद कुमार ऐसे ही व्यक्ति हैं।

आज दुनिया आनंद कुमार को सुपर 30 संस्था के संस्थापक के रूप में जानती है। हर साल आईआईटी रिजल्ट्स के दौरान उनके सुपर 30 की चर्चा अखबारों में खूब सुर्खियां बटोरती हैं। इस साल भी 30 में 28 बच्चों ने आईआईटी प्रवेश परीक्षा में सफलता पाई है।  एक नामी मैगजिन ने सुपर 30 को विश्व के 3 सर्वश्रेष्ठ बिद्यालयों के सूची में रखा है।

हाल के दिनों में आनंद कुमार फिर से काफी सुर्खियाँ बटोर रहे हैं। इस बार वजह सिर्फ सुपर 30 ही नहीं है| दरअसल कुछ दिन पहले आनंद कुमार ने अपने और सुपर 30 पर खुद के द्वारा लिखी किताब को जारी किया है जो महीने भर में ही बेस्ट सेलर हो गई। इसके अलावा, हाल ही में दुनिया के दो सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों, अमेरिका स्थित एमआईटी और हावर्ड विश्वविद्यालय, ने भी आनंद कुमार को अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए आमंत्रित किया है।

तो वहीं “बिहार में हुए टॉपर घोटाले में बिहार की हो रही बदनामी” पर अपनी राय देकर और आपन बिहार द्वारा चलाये जा रहे #MatBadnamKaroBiharKo का समर्थन कर के भी आनंद कुमार चर्चा में हैं।

इन्हीं सब मुद्दों पर आनंद कुमार की Aapna Bihar से खास बातचीत हुई| हमारी टीम के सुपर 30 में जाने और वहाँ के सकारात्मक ऊर्जा से अभिभूत होने की सूचना हम आपको पहले ही दे चुके हैं, अगर आपने उसे अब तक नहीं पढ़ा तो यहाँ पढ़ सकते हैं| और हम तो कहेंगे जरुर पढ़ें, ये हमें भी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा दे रहा है|

अपने वादे के अनुसार खास बातचीत के अंश आपके लिए भी लाये हैं-

प्रश्न: 2003 में सुपर 30 की स्थापना हुई थी। आज सुपर 30 विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों में शुमार होने तक का सफर तय कर चुका है। बिहार में आपकी छवि गरीब और प्रतिभावान छात्रों के मसीहा के रूप में है। आप अपनी इस उपलब्धि पर क्या कहेंगे?? 

आनंद कुमार: एसी कोई बड़ी बात नहीं है| ये तो आप युवाओं का जोश है कि आप लोग मुझे इतना बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत कर रहें हैं। सच्चाई तो यह है कि आप लोग जैसे यंग जेनेरेशन के लोग, जो इतना बढ़िया काम कर रहें है, बिहार को उस उच्चाई तक ले जाने का प्रयास कर रहें है ताकि पूरी दुनिया उसको देख सके उसके अंदर छूपी प्रतिभा को समझ सके। ये बहुत बड़ी बात है। यह काबिल-ए-तारिफ है और मैं इसलिए आपको धन्यवाद देता हूँ कि बिहार में आप घूम – घूम कर ऐसा काम कर रहें है।उससे मुझे ज्यादा खुशी होगी ,जब यहां के लोग अच्छा करेंगे ।

प्रश्न: एक बहुत ही उम्दा सवाल और curiosity है हम बिहारियों के दिमाग में कि बिहार राज्य में दसवीं के बाद ज्यादातर छात्र कोटा चले जाते हैं| जितने छात्र  कोटा और पटना के इंस्टिट्यूट में जाते हैं और जितने IIT में पास होते हैं, का अनुपात (ratio) देखा जाए तो पटना काफी आगे है, कोटा के मामलें में। आपका भी इंस्टिट्यूट पटना में है। इस विषय पर आप विद्यार्थियों एवं उनके पैरेंट्स को क्या संदेश देना चाहेंगे?

आनंद कुमार: दरअसल, बिहार में आप देखते हैं कभी बाढ़ है, कभी सुखाड़ है, कृषि प्रधान राज्य है। उसमें भी यहां पर systematic ढंग से खेती नहीं हो पाती है। जो प्राकृतिक आपदा आ जाती है उसके चलते। इसलिए यहां की खेती कहिए वह पढाई है। यहां की फसल हमारे छात्र हैं। वो दिन-रात एक करते हैं।
मैं पूरे देश में घूमता हूँ, जगह-जगह पर जाता हूँ, लोगों को मोटिवेट करता हूँ। कई स्टेट के स्कूलों में जाता हूं लेकिन जितनी पढ़ने की ललक, जितना कम सुविधाओं में भी अच्छा करने का जोश बिहारियों में है, बिहारी छात्रों में है, उतना कहीं नहीं।
आप समझ लिजिये कि बिहारी छात्र ऐसे होते है कि प्रतिकूल परिस्थिति में भी धारा के विरूद्ध बहते हुए कठिन से कठिन समस्याओं को भी तोड़ कर आगे बढ़ते हैं।

तो यहां के पैरेंट्स और बच्चों को मैं यही कहना चाहुंगा कि अभियान जारी रखें| पढ़ाई के लिए समय निकालें| ज्यादा से ज्यादा आप वक्त दें और यह पढ़ाई ही है जो आपको गरीबी से और समस्याओं से बाहर निकालेगी और आने वाले समय में बिहार की पहचान आप ही लोग बना सकते हैं।

प्रश्न: छात्रों के कोटा के प्रति आकर्षण पर क्या कहेंगे? 

आनंद कुमार: क्या है कि कोटा में जो कोचिंग संस्थान है पूरी तरह से व्यावसायिकरण है उसका और वो लोगों में चमक दमक है, ग्लैमर है। रिजल्ट भी है लेकिन यहीं के ही बच्चे वहां जाकर रिजल्ट देते हैं। तो यहां वातावरण धीरे-धीरे बहुत बदला है, बहुत पोजिटिव माहौल हुआ। आपको जानकर खुशी होगी कि आज के तारिख में सुपर 30 में न सिर्फ बिहार के बल्कि छत्तीसगढ़, झारखंड, पंजाब और महाराष्ट्र तक से भी बच्चे आ रहें है लेकिन हमारी बाध्यता है कि हम उन्ही बच्चों को लेते है जो कि निर्धन परिवार के हो। फिर भी देश के कोने कोने से लोग आते हैं।
तो यहां पर है सुविधा। आप जैसे युवा जब इसे प्रचारित – प्रसारित करेंगे, फैक्ट्स सामने आएंगे , सही चीजें लोगों के सामने आएंगी तो अपने आप समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

प्रश्न: एक दुविधा है, एक छोटा सा प्रश्न है कि कुछ लोग मानते है कि बिहार बोर्ड से पास करने वाले 70% विद्यार्थी पास होने लायक नहीं रहते हैं। उनका मानना है कि बिहार के बच्चे साक्षर हो सकते है पर शिक्षित नहीं, कई लोग यहां तक कहतें है कि आनंद कुमार के 30 में से 30 बच्चे आईआईटी कैसे करते हैं? इस पर आप क्या कहेंगे??

आनंद कुमार: – आश्चर्य की बात ये है कि यहां कम सुविधाओं में भी बच्चे पढ़ते हैं और बहुत अच्छा पढ़ते हैं। आप देखिए कि हमारे 30 बच्चे होते हैं उन तीस बच्चों में से 28-27 बच्चे बिहार बोर्ड के ही हैं।
तो आप कैसे प्रतिभा पर प्रश्न उठा सकते हैं। मान लिया जाय कुछ पिछले दिनों घटनाएँ घटीं हैं। दो-चार-दस लोग मिल कर साजिश करते हैं, अपने निजी स्वार्थ के लिए बिहार को बदनाम करते हैं, यह गलत बात है।

लेकिन मैं माननीय मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देता हूँ, शिक्षा मंत्री जी का भी जो उन्होने ने कड़ी-से-कड़ी कारवाई करने का प्रयास किया है। बहुत जगह हम तस्वीरों को देखते हैं, बहुत सारी खबरें आती हैं कि इस स्टेट में चोरी हो रही कभी उस स्टेट में।
लेकिन वहां इतने संज्ञान नहीं लिए जाते| लेकिन आप लोग के युवाओं को ख्याल रखते हुए सरकार संज्ञान ले रही है तो अपने-आप में बहुत बड़ी बात है और आने वाले भविष्य में बिहारियों का इमेज बहुत बनेगा अगर आप लोग इसी तरह से इसे प्रचारित – प्रसारित करते रहेंगे तब।

प्रश्न: आपन बिहार की पहुंच हर सप्ताह 20 लाख लोगों तक है। हमारे गाँव से एक प्रश्न आया है। क्या कोई बच्चा सरकारी स्कूलों में पढ़कर आईआईटी निकाल सकता है??

आनंद कुमार: अभी तो बोला ही कि 30 में से हमारे 28 बच्चे ऐसे स्कूल में जाते हैं जहां अभी शिक्षक उतने काबिल नहीं हैं जितने होने चाहिए। वहां पर तमाम सुविधाओं की कमी है फिर भी बच्चा दिखाता है कि बिहारियों के खून में क्या बात है। उनके धवनियों में ऐसा खून बहता है कि कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी धारा के विरूद्ध पत्थर का सीना तोड़ कर भी प्रकट होती है। यह है बिहारी प्रतिभा।

प्रश्न: पूरे देश ये लोग जानते हैं कि बिहार के छात्र गणित में बहुत अच्छे होते हैं। बिहार की धरती ने भी कई महान गणितज्ञ को जन्म दिया है। आप भी एक महान गणितज्ञ हैं। तो इसके पीछे का राज क्या है?

आनंद कुमार: यहां परमपरा रही है, आर्यभट्ट के ही जमाने से| आर्यभट्ट ने भी अपनी कर्मभूमि यहीं बनाई पटना जिले में।
जी हाँ, एक ऐसी बात है, एक परमपरा और ऐसा माहौल है।
ब्राजील के लोग पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर तो नहीं होते हैं, सबसे उनके बड़े – बड़े टांग और देशों के रिस्पेक्ट में तो नहीं होतें हैं मगर वहां माहौल है फुटबॉल का, वहाँ लोग फुटबॉल खेलते हैं। चाईना में आप देखिए तो वहां पर जिम्नास्टिक का माहौल है |उसी तरह से बिहार में एक गणित का माहौल है, तो बहुत बड़ी बात है| सरकार और हम लोग मिल के इस माहौल को बनाए तो और आश्चर्यजनक परिणाम आयेगा जिसको आने वाले भविष्य में दुनिया देखेगी।

प्रश्न: अब एक आखिरी सवाल, देश के हजारों और लाखों छात्र जो आपको अपना आदर्श मानते है। जिनके लिए वाकई आप प्रेरणा के श्रोत हैं। उनके लिए एक अंतिम संदेश आपन बिहार पेज के द्वारा क्या देना चाहेंगे??

आनंद कुमार: हम बस यही संदेश देंगे कि आप बिहार में रहें या बिहार के बाहर रहें समस्याएँ होंगी, समस्याओं से कभी घबराएँ नहीं। पोजिटिव माइंड से काम करें , धैर्य बनाए रखें और हमेशा सोचें कि

बुझी हुई समा फिर से जल सकती है,
भयंकर से भयंकर तुफान हो कश्ती जरुर निकल सकती है।।
मेरे दोस्तो, मेरे विद्यार्थियों निराश न हो, मायूस न हो, मेहनत करें
उससे आप और आपकी तकदीर और बिहार की तकदीर जरुर बदल सकती है।

जय भारत, जय हिंद, जय बिहार!!

 

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